Saturday, March 27, 2010

ज़िन्दगी

जिंदगियों की महफ़िल सजाई तोह मौत खफा हुई,

हमने मौत से कहा "एह मौत, ज़िन्दगी कितनी भी शौहरत की ऊँचाइयों को चूहले, पर तुझसे कहाँ जीत पाई"

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